नींदें
नींदें
मुसलसल किस्सों में,
हिस्सेदारियां आम हुई!
दलीलें उठ कर जाने की,
सारेआम नाकाम हुई
गुफ्तगू रात से शुरू जो,
सुबह अंजाम हुई
खुमार ही टूटते शाम हुईं
नींदें बदनाम हुई!
मुसलसल किस्सों में,
हिस्सेदारियां आम हुई!
दलीलें उठ कर जाने की,
सारेआम नाकाम हुई
गुफ्तगू रात से शुरू जो,
सुबह अंजाम हुई
खुमार ही टूटते शाम हुईं
नींदें बदनाम हुई!