नारी
नारी
नारी शक्ति
की अनेक रूप होती,
वो माँ, बहन, बहू वाले चरित्र निभाती,
नहीं डरती, नहीं सहती,
पर लड़ती,
और आगे बढ़ती।
उसकी खामोशी को
कमजोरी मत समझना,
वो नारी है,
मजबूरी मत समझना।
प्रभु ने बनाया है
उसको अपनी सृष्टि में।
और, वो उसे चुना है
नारी का रूप धारण करने के लिए।
क्योंकि वो अनोखी और भयरहित रीति से रची हुई है।
शब्द में सीमित नहीं है वो,
ना शक्ति उसकी कमजोर,
वो नारी है
बिचारी नहीं।
वो नारी है
मजबूरी नहीं।