मुट्ठी भर आकाश
मुट्ठी भर आकाश


मुट्ठी भर आकाश दिखाई देता है मेरी छत से
धुंधला स वो चाँद दिखाई देता है मेरी छत से
अरमानो कि कोई सीमा हो तो बता
सब कुछ कितनी पास दिखाई देता है मेरी छत से
भीड़ में तन्हा क्यों लगता है समझ गया
चेहरों पर नकाब दिखाई देता है मेरी छत से
प्यार महोब्बत में ही तो सब रक्खा है
ये सब कितना साफ़ दिखाई देता है मेरी छत से
उसकी बातें यादें और ये तन्हाई
सारा ही एक साथ दिखाई देता है मेरी छत से!