मुस्कान होती हैं बेटियाँ
मुस्कान होती हैं बेटियाँ
मंद-मंद मुस्काती बेटी
जीवन का सार सबल बेटी,
गंगा-यमुना सी निर्मल धार
झरने-सी कल-कल बेटी।
नव आशा का उज्जवल दर्पण
पलती-पढ़ती बन होनहार,
प्रकृति का उन्मत्त श्रृंगार
मुस्कानों का उद्गम स्थल,
जीवन का सार सबल बेटी
मंद-मंद मुस्काती बेटी।
बेटे की आस रहा करती
बेटी फसलों -सी लहलहाती,
अपने कर्त्तव्यों की सीमा पर
सारा जीवन दाँव लगा देती।
बेटा तो तरता एक ही कुल
बेटी दो कुल को पार लगा देती,
फिर गर्भ में पलते जीवन की
क्यूँ श्वासें रोकी जाती हैं?
आने दो उसको धरती पर
हक है उसका उसे पाने दो,
जीवन का सार सबल बेटी
उसको भी खुलकर मुस्काने दो।