मंज़िल मिल ही जाएगी
मंज़िल मिल ही जाएगी
मंज़िल मिल ही जाएगी तू कदम उठा तो सही
राहें खुल ही जाएँगी तू कदम बढ़ा तो सही
इंतज़ार ना कर साथ का किसी के,
अकेले चलने का हौंसला ला तो सही
के मुश्किलें आएँगी रास्ते में बहुत,
तू लड़ने का जज़्बा दिखा तो सही
तकदीर होगी मुठ्ठी में तेरी,
तू खुद को आज़मा तो सही
झुकता है ज़माना खुदी क आगे,
तू खुद को रब का बना तो सही।
