मेरी माँ
मेरी माँ
आकाश में सबसे ऊंचा, मै हु वो पतंग
वाहा कभी ना पहुंच पाती, अगर तुम ना होते संग
जबसे मैने जाना, मेरी डोर तुम्हारे उंगलिओ में ही थी
और तबसे जाहा तुमने चाहा, वही तुरंत चल दी
ना खींचा होता, तो बदलती वादियों में घूम हो जाती
न छोड़ दिया होता, तो आस्मां काहा खोज पति
मैंने खुद से किया वादा, हम ना हो कभी जुदा
हमेशा हम रहे, मैं एक बेटी और आप मेरी माँ।
