मेरी क़ीमत
मेरी क़ीमत
मेरी कोई ख़्वाहिश नहीं उस मुक़ाम की,
जिसमें मेरी मंज़िल की क़ीमत लगाई जाए,
मुझे मेरी औकात समझायी जाए।
मेरी ख़ूबी है कि मैं शांत हूं,
लेकिन मेरी वफ़ा पर ना सितम ढाई जाए,
मुझे मुझसे नफ़रत ना कराई जाए।
आ जाऊं अगर मैं तेरे मोड़ पर,
मेरी आबरू पर तेज़ाब ना डाली जाए,
मेरी आंचल पर दाग़ ना दिखाई जाए।
मेरे सपनों की महफ़िल है लंबी,
मेरे हौसलों को बेशक बढ़ाई जाए,
सवालों पर सवाल ना उठाई जाए।
ज़िन्दगी तो मेरी भी है ख़ूबसूरत,
मेरी सांसों की ख़बर ना लगाई जाए,
मेरे हक़ को मुझ से मिलाई जाए।
मेरी हस्ती भी है इस जहां में,
पैरों में बेड़ियां ना बांधी जाए,
मुझसे मेरी शान ना चुराई जाए।
बेशक मैं सबकी हूं नेहा,
मेरे हिस्से की नाज़ ना घटाई जाए,
मोहब्बत से नवाज़ कर, मेरी चाहत बढ़ाई जाए।