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Vijay pal

Abstract

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Vijay pal

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मेरा सपना

मेरा सपना

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सबके तरह मेरे भी सपने थे, 

कुछ हकीकत कुछ फ़साने थे, 

जब भी किसी सफल आदमी को देखता, 

मेरे भी सपने याद आ जाते थे, 


लेकिन वही पुरानी आदते, 

कल पर छोड़ जाते थे, 

आज वो सफल आदमी

महा सफल हो गया, 

मैं वही के वही रह गया, 


सबके तरह भी कुछ सपने थे 

कुछ हकीकत कुछ फ़साने थे, 

कल पर टालने की आदत

कुछ इस कदर हावी हो गया, 


कि मैं जवान से बुड्ढ़ा हो गया, 

सब सपने चकनाचूर हो गया,

सबके तरह मेरे भी कुछ सपने थे, 

कुछ हकीकत कुछ फ़साने थे।


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