मैं इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ
मैं इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ
जन्मा हूँ वीरों की धरती पर
आज है मेरा बचपन
मैं कल का नौजवान हूँ
मैं इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ।
बीतेंगे कुछ रोज़ हो जाऊंगा जवाँ
पर नहीं भूलूंगा एक काम
मुझे रखनी है इंसानियत जिन्दा
क्योंकि मुझे भी है एक जान
मैं इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ।
पाने के लिए अपनी मंजिलों को
गुजरूँगा कई रास्तों से
और मुझसे पूछे जाएंगे हजारों सवाल
क्या मैं हिन्दू हूँ, मुस्लिम हूँ
सिख हूँ या ईसाई हूँ
पर इन सब धर्मो से परे सबसे पहले
मैं एक इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ।
जरुरी नहीं मैं शाहिद होकर
ही देशभक्त कहलाऊँ
मैं अपने देसी हल से ज़मीन को
सींचकर अनाज पैदा करने वाला
एक किसान हूँ
मैं इंसान हूँ, मैं हिंदुस्तान हूँ।
सरहद पर खड़ा
दुश्मन की गोलियों को झेल रहा
भूल गया हूं सब कुछ
कहा मेरा घर है क्या मेरा धर्म है
बस याद है मुझे यही
की मेरे देश वासियों का मुझपे विश्वास है
मैं सेना का एक वीर जवान हूँ
मैं इंसान हूँ मैं हिंदुस्तान हूँ।
