मातृभाषा
मातृभाषा
अपने स्वरों में मुझ को साध लीजिए।
मैं मृदुला, सरला, ले पग-पग आऊँगी।।
हों गीत सृजित, लयबद्ध ताल दीजिए।
मधुरिमा, रस, छंद, सज-धज गाऊँगी।।
सम्प्रेषित भाव सतत समाहित कीजिए।
अभिव्यंजित माधुर्य, रंग-बिरंगे लाऊँगी।।
मातृभाषा कर्णप्रिया, सुसंस्कृत बोलिए।
सर्व हृदयस्थ रहूँ, मान घर-घर पाऊँगी।।
