मातृ भूमि के रक्षा कवच
मातृ भूमि के रक्षा कवच
देश भक्ति से भरा हुआ
कूट-कूट अरमान ।।
प्राणों की बाजी लगा
खड़े हैं सीना तान ।।
मातृभूमि रक्षा करें
मेरे वीर जवान ।।
दुश्मन सम्मुख आए तो
पहुंचाते शमशान ।।
ठंड ना वर्षा देखते,
धूप न देखें छांव ।।
हरदम सीमा पर डटे,
दुश्मन रखें न पांव ।।
वीर जवानों में भरा,
बड़ा हौसला दम ।।
एक-एक, दस-दस मारता
दुश्मन रखें पड़ते कम ।।
साहस, धैर्य ,वीरता
ताकत है हथियार ।।
आंधी और तूफान भी ,
इनसे माने हार ।।
सीमा के अर्जुन खड़े
सीना भृकुटि तान ।।
चक्र सुदर्शन घूमता,
दुश्मन के हर ले प्राण ।।
मातृ भूमि "रक्षा कवच"
बनते वीर तमाम ।।
भारत के सिर मौर् तुम्हे,
कोटि- कोटि प्रणाम ।।