मां
मां
यह है मेरी मां की कहानी जो मैंने इस पन्ने पर समेटी है
कि आखिर मेरी मां भी तो मेरी तरह किसी की बेटी है
वो भी तो अपने बचपन में कैसे पंख पसारे उड़ती थी
अपनी प्यारी आंखों में मीठे सपने बुनती थी
कड़ी धूप हो या फिर छांव वो एक पल नहीं ठहरती थी
वो भी तो अपनी जिद के आगे कहां किसी की सुनती थी
जिसकी आंखें जरा से दर्द से नदी की धारा सी बन जाती थी
जो अपनी हंसी से घर आंगन महकाती थी
पर जब से यह बेटी एक मां के रूप में आई है
बस अपने ही बच्चों में इसकी दुनिया समाई है
हर दर्द से बचाकर रखती है अपने बच्चों को
मां जिंदगी की हर तकलीफ अकेले ही उठाती है
हर ख्वाहिश को पीछे छोड़ा हर सपने को तोड़ दिया
जिस राह पर है अपनों की खुशी उस राह पर खुद को मोड़ लिया...
एक मां ही है हमारे जीवन में जो खुद सीख बन जाती है
हमारी हर गलती पर डांटती है ,समझाती है
आखिर पिता से ही क्यों मां से भी सब की पहचान बने
मां ही हर व्यक्ति के व्यक्तित्व का सम्मान बने
आओ झुक कर प्रणाम करें उस मां को जो हमें खुद से ज्यादा प्यार करे
एक मां का संपूर्ण जीवन ही हम सबको ज्ञान प्रदान करे।
