लॉकडाउन और रक्षाबंधन
लॉकडाउन और रक्षाबंधन
लॉकडाउन था शहरों में,
सड़के सारी वीरान पड़ी।
महामारी के आतंक से,
सारी दुनिया हैरान खड़ी।
राशन पानी की परेशानी,
सबकी अपनी अलग कहानी।
कुछ के छूटे कारोबार,
कुछ की खत्म हुई जिंदगानी।
माँ से छिन गया बेटा प्यारा,
बहन से छिन गया भाई दुलारा।
ऐसे नियति ने खेल रचाये,
अपनो के शव भी छू न पाये।
आज रक्षाबंधन आया।
पुलकित मन में हर्ष समाया।
कोई उस बहना की सोचे,
जिसने अपना भाई गंवाया।
अश्रुपूर्ण शोकाकुल चेहरा
और विषाद की रेखा है।
पथराई आंखों ने घर का,
कोना कोना देखा है।
भाई की स्मृतियां घर के,
हर कोने में बसी हुई,
आज के दिन यूँ लगता मानो,
श्वास हलक़ में फंसी हुई।
यहीं दुआ वह करती रब से,
सदा अटूट यह बंधन हो।
किसी बहन के जीवन में,
न ऐसा रक्षाबंधन हो।
किसी बहन के जीवन में,
न ऐसा रक्षाबंधन हो।