लक्ष्य पथिक का
लक्ष्य पथिक का


दूर है किनारा, ना कोई सहारा
बढ़ता रहता आगे और आगे
रहे रौशनी या अंधेरा
पल पल सोचता मैं बेचारा
मन ही मन में है विश्वास
इस पार भी तू प्रभु
उस पार भी तू
न मुझे डर ना बहाना
तू मेरे साथ वही किनारा
दूर है किनारा, ना कोई सहारा
बढ़ता रहता आगे और आगे
रहे रौशनी या अंधेरा
पल पल सोचता मैं बेचारा
मन ही मन में है विश्वास
इस पार भी तू प्रभु
उस पार भी तू
न मुझे डर ना बहाना
तू मेरे साथ वही किनारा