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Jayesh Patadia

Abstract

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Jayesh Patadia

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क्या हम फिर से पहले की तरह दोस

क्या हम फिर से पहले की तरह दोस

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क्या हम फिर से पहले की तरह दोस्त नहीं बन सकते ?

क्या हम सब कुछ भूल कर एक नई शुरुआत नहीं कर सकते है ?


माना गलती मेरी भी थी मगर दोस्ती हमारी

इतनी कच्ची भी ना थी एक छोटे से जगड़े से टूट जाए


ईगो भूल कर एक बार फिर से दोस्त नहीं बन सकते ?

क्या हम फिर से दोस्त बनकर ढेर सारी मस्ती नहीं कर सकते ?


क्या हम फिर से दोस्त बनकर ढेरों सारी बातें नहीं कर सकते ?

क्या हम फिर से पहले की तरह दोस्त नहीं बन सकते ?


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