कुदरत
कुदरत
माया कुदरत की दिखे, होवै घणी कमाल।
पाणी वायु नभ हवा, राखै आग ख्याल।।
राखै आग ख्याल, हाल पर खुद का माड़ा।
बणगे पूत कपूत, चलावै घणा कुहाड़ा।।
पांच तत्व तै देख, बणी या कुदरत काया।
कर दो दोहन बंद, घटी या कुदरत माया।।
माया कुदरत की दिखे, होवै घणी कमाल।
पाणी वायु नभ हवा, राखै आग ख्याल।।
राखै आग ख्याल, हाल पर खुद का माड़ा।
बणगे पूत कपूत, चलावै घणा कुहाड़ा।।
पांच तत्व तै देख, बणी या कुदरत काया।
कर दो दोहन बंद, घटी या कुदरत माया।।