कर्म
कर्म
कर्म का फल तू ही पाए क्योंकि कर्म भी तू ही करता है ,
जो पेड़ उगा उसमे फल तो होगा यह पेड़ पर निर्भर करता है,
खट्टा हो या मीठा , फिर तुम पर निर्भर करता है
की तुम चाहते हो मीठा या फिर खट्टा तुम चाहते हो।
