!! कर्म ही शाश्वत धर्म है !!
!! कर्म ही शाश्वत धर्म है !!
कृष्ण कृतित्व भी है,
व्यक्तित्व भी है !
मीरा और राधारानी के,
प्रभुत्व भी है !!
कर्मयोगिता से कर्म का,
सिद्धांत भी है !
कुरूक्षेत्र मे अर्जुन का,
समाधान भी है !!
पुरुषार्थ की व्याख्या..
होती है व्यक्तित्वो से ।
मानव के मानवता वाले..
अनदेखे गूँण रहस्यों से ।।
गूँण ज्ञान है....क्षमता का
सत्य सनातनी समता का
सोलह कलाओं में निहित
अवतरित हरि प्रभुता का
मीरा की विरह वेदना ओर...
भक्ति को हम भूल गये ।
सूर रसखान की कलम की..
शक्ति को हम भूल गये ।।
भूल गये 'जायसी' जी को,..
रमता जोगी 'सुर' सा योगी ।
कृष्ण दीवाना मुस्लिम परवाना,..
जपता राम, कृष्ण वियोगी ।।
कुछ तो कशिश हैं मेरें कान्हा में
कितनें जज्बात भरें हें साधना में
हिन्दू,मुस्लिम,सिख ईसाई तल्लीन,..
हो जातें है, कृष्ण की आराधना में ।।
बाल चेष्ठाओं का गौरव कान्हा ।
<p>रण भुभि का सौरभ कान्हा ।।
समस्या मै समाधान कान्हा ।
विपत्ती में है निदान कान्हा ।।
कर्म की अवधारणा में..
गीता का ज्ञान कान्हा !
सौ सौ से लड़ने वाला..
कूटनीतिक मान कान्हा !!
मान दिखाई देता है ,
सम्मान दिखाई देता है !
दुर्योधन की भरी सभा मे,
अपमान दिखाई देता है!!
अपमान की आग ओर..
शिशुपाल की गाली खाई है ।
फिर भी मेरे कान्हा ने..
शान्ति की बाँसुरी बजाई है ।।
सुलह नाकाम तो..
चक्र सुर्दशन कान्हा !
रणभुमि मे पार्थ का
पथ प्रर्दशक कान्हा !!
कान्हा कर्म है तो धर्म है
भक्ति में परिलक्षित मर्म है
कृष्ण का विशाल रुप..
रणभुमि का याद करो ।
कान्हा के कर्मयोगिता वाले..
सिद्धांत को प्रणाम करो ।।
प्रणाम करो उस प्रभुता को,
चिंतन करो उस लघुता को !
ध्यान योग तप साधना युक्त,
अविनाशी अनंत क्षमता को !!