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Sonam Patidar

Romance

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Sonam Patidar

Romance

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या

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आंखें खुलने से पहले, ना बंद करो आंखें मेरी

मैं भी तो एक जान हूं, चलने दो ना सांसे मेरी


ना कचड़ा समझ कर, फेंको मुझको

मैं भी एक आवाज़ हूं, सुन लो ना कुछ बातें मेरी


बेटे की ही चाह हैं, बस बेटा ही अभिमान है

ये कैसी खोखली सोच,और कैसा अंधा भाव है


वो बेटा या बेटी नहीं, पहले वो एक नन्ही जान है

जब सोच ही खराब हो, तो उसका कोई कसूर नहीं


क्या बेटे से ही शान है, और बेटी हमारा गुरूर नहीं

अरे इतनी जल्दी काहे की, पहले जन्म तो लेने दो


वो ऐसी एक शमशीर है,जो किसी के आगे मजबूर नहीं

बेटा भले ही पास रहे, चाहे आंखों का तारा है


पर बेटी चाहे दूर रहे,हर जरूरत में वो सहारा है

ना जन्म देकर दूर करो, ना कोख में ही मार दो।


माँ, बेटी, बहन या बीवी, जैसे भी वो आएगी

सारा जीवन तुम पे वार देगी, चाहे थोड़ा सा ही उसे प्यार दो


नहीं मैं बोझ किसी के सर का, ना बंद करो राहें मेरी

आंखें खुलने से पहले, ना बंद करो आंखें मेरी।


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