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Sakshi Jain

Inspirational

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Sakshi Jain

Inspirational

कौन हो तुम?

कौन हो तुम?

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कौन हो तुम?

मैं साक्षी...नहीं कौन हो तुम

इस सवाल से थक चुकी थी मैं

जवाब की तलाश में बह चुकी थी मैं

मां-बाप से पुछा तो कहा

पापा की परी और मम्मी की जान हो तुम

टीचर से पुछा तो कहा भविष्य की शान हो तुम

भइया से पुछा तो कहा गुड़िया शैतान हो तुम

बॉयफ्रेंड से पुछा तो कहा मेरा प्यार हो तुम

पति से पुछा तो कहा घर का मान हो तुम

समय बीत गया मगर ये सवाल रह गया


आखिर कौन हो तुम?

आज दुनिया से नहीं खुद से जवाब पाया है मैंने

हर हालात में ढल जाए वो जान हो तुम

चोट खाकर भी ना डगमगाए वो पहाड़ हो तुम

धरती के सीने पे पैदा होकर जो

आसमान के सपने सजाए वो कलाकार हो तुम

और गम का घुट पीकर भी जो मुस्कराए वो औजार हो तुम।

पता चला तुम्हें साक्षी, आखिर कौन हो तुम?



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