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santhosh kumar

Abstract

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santhosh kumar

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जय सीता राम

जय सीता राम

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जीवन का यह मोड़ ऐसा है

आगे कुछ दिखता नहीं

पीछे कुछ बचा नहीं !


भगवान की लीला भी तो देखो  

वापस जा भी नहीं सकते

कदम रोक कर सोच भी नहीं सकते !


एक ही आस है

एक ही विश्वास है 

जो भी होगा अच्छा होगा 

जब राम नाम तुम्हारे साथ है 

सियावर राम चंद्र की जय !


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