जय घोष हो
जय घोष हो


प्रतिबद्धता हो रक्त में,
रण के शोर्य वक्त में,
युद्ध के उन्माद में,
सीमाओं के विवाद में,
सिंह जैसा जोश हो।
जय घोष हो, जय घोष हो,
जय घोष हो।
प्रतिध्वनियां भी स्वच्छ हों,
परिकल्पना प्रत्यक्ष हो,
रणभेरियों का शोर हो,
निस्तब्ध रात्रि, भोर हो,
इक लक्ष्य भेदी होश हो।
जय घोष हो, जय घोष हो,
जय घोष हो।
तन मन में यूं उमंग हो,
जब पर्वतों पे जंग हो,
पर वेदना भी संग हो,
दुश्मन भी देख दंग हो,
गर मृत्यु का आगोश हो।
जय घोष हो, जय घोष हो,
जय घोष हो।