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Prasad Deo

Abstract

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Prasad Deo

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जो तुम आ जाते एक बार

जो तुम आ जाते एक बार

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कितनी करूणा कितने संदेश

पथ में बिछ जाते बन पराग

गाता प्राणों का तार तार

अनुराग भरा उन्माद राग


आँसू लेते वे पथ पखार

जो तुम आ जाते एक बार


हँस उठते पल में आर्द्र नयन

धुल जाता होठों से विषाद

छा जाता जीवन में बसंत

लुट जाता चिर संचित विराग


आँखें देतीं सर्वस्व वार

जो तुम आ जाते एक बार।


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