जिन्दगी का आनन्द
जिन्दगी का आनन्द
चंद लम्हे
हाँ चन्द लम्हे चुराकर
जिन्दगी से
आओ जी लें
जिन्दगी
जिन्दगी! हाँ ऐसी जिन्दगी
जहाँ न छल हो
न स्वार्थ
न हो कोई शर्त
बस हो अपनापन
भावना, मानवता के कल्याण की
हँसी हो, ठहाके हों
सम्भ्रान्तता का लबादा न हो
मानव दिखे मानव की तरह
बैठो कभी
पद, प्रतिष्ठा, वर्गभेद को भुलाकर
और लो आनन्द जिन्दगी का
सिर्फ मानव बनकर !!!!!
✍️अनुरोध श्रीवास्तव