जीवन का सफर
जीवन का सफर
जीवन के सफर में जब चलना ही है तो क्यों ना हम साथ साथ ही चले।
माना जीवन में हुए थे बहुत शिकवे बहुत गिले
लेकिन तन्हा रह कर भी तो देख लिया अपनी अपनी बेबसी को।
अब क्यों ना उन पुराने पलों को हम दोनों ही भूलें।
गलतियां दोनों को अपनी अपनी समझ में आ ही गई है।
कुछ तुम्हारी थी कुछ हमारी थी और कुछ तो हम दोनों से ही हुई हैं।
फिर से पकड़ेंगे हाथ और नहीं छोड़ेंगे अब एक दूसरे का साथ।
केवल कमियां ही नहीं हम समझ गए हैं एक दूसरे का प्यार भी।
अब फिर से बसाएंगे हम अपना सुंदर सा संसार
और नहीं देंगे एक दूसरे को शिकायत का मौका कभी।
समय ने बहुत कुछ सिखा दिया है।
शुक्र है परमात्मा का हमें फिर से मिला दिया है।