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Pawan Mishra

Abstract Others

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Pawan Mishra

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झुठ - सबसे बड़ा झुठ

झुठ - सबसे बड़ा झुठ

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छुट्टी समाप्ति पर

इस रविवार की शाम जैसे ही

मैंने झुककर मम्मी - पापा के पैर छुए किया प्रणाम और निकल पड़े

अपने काम पर---

रास्ते भर इनके चेहरे कि झुर्रियां

पिला पड़ रहा चेहरे कि चमक

और हाड़ मांस युक्त

शरीर की दूर्बलतम काया

थका थका सा चेहरे का संकुचन,

और इस परिस्थिति का अवलोकन‌

महसूस करा रहा है

इन्हें है सख्त रूप से

हमारे सहारे कि आवश्यकता

अवशेष जिंदगी में हमारे साहस-

हौसलों और हर पल के साथ की जरूरत

इसी से मिलेगा इन्हें

तृप्ति संतुष्टि सुकून और चैन का एहसास

इन सब को जानते हुए भी

नहीं कर पा रहा हूं

अपने फर्ज और कर्तव्य का पूरा निर्वाह

एक संतान‌ होने के दायित्व को

जानता हूं ,

जानता हूं , हमारी क्या होनी चाहिए भूमिका -- लेकिन

जिंदगी की कशमकश --

भागमभाग--व्यस्तता और अनेकों लाचारी व्यक्त कराता है

सिर्फ सांत्वना के दो बोल

और बोल पाता हूं

कि जल्द ही हमलोग फिर मिलते हैं

चिंता मत करना

पापा और अम्मा अपना ख्याल रखना

और ये हमारी खातिर

बोल जाते हैं ----

विश्व का सबसे बड़ा झूठ

हमें खुश रखने

रूआंसे

स्वर में बोल जाते हैं

हम लोग ठीक हैं

अपना ख्याल रखना।

जरूर -------

और फिर कह जाता हूं

जल्द ही फिर से मिलते हैं



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