जग का आधार है नारी
जग का आधार है नारी
1 min
7
जन्म देती है खुद मृत्यु से लड़कर नारी,
गर्दिशें जमाने की उठाती है भारी,
कायनात प्रेम से है इसने ही संवारी,
आकाश में उड़ने की चाहत भी कर ली है पूरी
धार तलवार की लेकर बनी दोस्तों के लिए चिंगारी
रहती है तत्पर निभाने को हर जिम्मेदारी
हैरत नहीं है इसमें बचाने देश को बनी है क्रांतिकारी
नाज करो इस पर ना मारो बेटियां कोख में ही सारी
रीत नहीं है ये जग के भविष्य के लिए हितकारी ।