STORYMIRROR

Sumit Mishra

Inspirational

4  

Sumit Mishra

Inspirational

हमारी आरज़ू।

हमारी आरज़ू।

1 min
389

शून्य घोर चित्त चंचल में एक दबी है आरज़ू,

आप की रोज़ की तकरार की आरज़ू,


हमारी भीनी अनदेखी, मुस्कुराहट की आरज़ू,

हमारे भीतर गुज़रती हर कसक की आरज़ू,


आप रुस्वाई की बात करती हो,

तो समन्दर सी अश्कों से ढलने वाली आरज़ू,


लगता है उधार दी है हमने आप को सांसे हमारी,

इन अधूरी सांसो में कटती जिदंगी की आरज़ू,


इतंजार, उम्मीदें और अहसास सब बिखरा सा है,

टूटती निगाहों में लुटती पनाह की आरज़ू,


आखिरी बार जब आप कहती हो ! ना रहा कुछ,

तो निर्धन सी, यादों की धनी होने की आरज़ू,


अनजान से पहचान का लम्बा सफर गुज़रा,

अब पहचान से अपनेपन की आरज़ू,


आप जीवन की मांग करती हो,

हमारी आप संग जीकर मरने की आरज़ू।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational