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Anuradha Garg

Inspirational

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Anuradha Garg

Inspirational

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

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ऐसा नहीं कि हिंदी दिवस के कारण ही हिंदी पर बोलना चाहती हूं मैं,

अपितु आज हर हिन्दुस्तानी का दिल टटोलना चाहती हूं मैं।

हिंदी ना धर्म है, ना जात है, ना ही इसमें काले- गोरे का पक्षपात है ।

ना इसमें ऊंच नीच का भेद भाव है,

बल्कि यह तो हमारी आत्माओं का बजता हुआ साज है।

जब पहली बार लड़खड़ाती ज़बान से, शब्दों का परिचय हुआ,

तो मातृभाषा से मां का भी आह्वान हुआ।

इसमें ममत्व है, भावुकता है, सम्मान है

यही भाषा तो सभी भारतीयों के अपनत्व का परिमाण है।

मेरी मातृभाषा का समृद्ध साहित्य भंडार हैं।

इसमें छंद हैं, काव्य है, कविताएं हैं, सुविचार है।

इसमें सादगी, संस्कृति और संस्कार है,

तभी तो ये मेरे देश की एकता का आधार है।

यह एकता, अखंडता का स्वप्न भी करती साकार है।

फिर क्यूं करते हैं हम इसे दरकिनार हैं।

आज की परिस्थिति यां भी कर रही मातृभाषा पर प्रहार हैं।

तो आओ आज मिलकर यह संकल्प करें,

कुछ मातृभाषा का भी ध्यान धरें,

कुछ उसका भी प्रचार करें, कुछ उसका भी प्रसार करें,

हम सब हिंदी भाषी हैं यह कहने में अभिमान करें।

हम सब हिंदी भाषी हैं यह कहने में अभिमान करें।

  


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