हिन्दी भाषा नहीं एक विश्वास
हिन्दी भाषा नहीं एक विश्वास
भाषा नहीं मात्र....अपितु एक विश्वास है हिन्दी,
प्रिय की पाती के शब्द नहीं आस है हिन्दी।
अश्रुपूरित नयनों के लिए मधुमास है हिन्दी,
भाषा नहीं मात्र अपितु एक विश्वास है हिन्दी।
देववाणी का नवीन अवतार है हिन्दी,
समाज में करती सृजनात्मकता का संचार है हिन्दी,
काव्य की माला में रस, छंद, अलंकार का उल्लास है हिन्दी,
विचारों की सहज अभिव्यक्ति का सुंदरतम प्रयास है हिन्दी,
भाषा नहीं मात्र...अपितु एक विश्वास है हिन्दी।
भारत भूमि की निश्चय ही अकाट्य पहचान है हिन्दी,
नहीं किसी से भेद गंगा-जमुनी संस्कृति की जान है हिन्दी,
जन-जन की वाणी, उद्घोष, शंखनाद है हिन्दी,
माँ भारती का प्रेम, वात्सल्य, मोहपाश है हिन्दी,
भाषा नहीं मात्र...अपितु एक विश्वास है हिन्दी।
किसी के लिए जीवन यापन का साधन है हिन्दी,
जनमानस का देवताओं को अभिवादन है हिन्दी,
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, धरती और आकाश है हिन्दी,
सकल राष्ट्र के जन-जन का मन, प्राण और श्वास है हिन्दी,
भाषा नहीं मात्र...अपितु एक विश्वास है हिन्दी।
