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Dr suresh Tiwari

Abstract

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Dr suresh Tiwari

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गज़ल

गज़ल

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दर्द ओ अलम का दौर ये दरमान बहुत है,

जश्न हर सू मगर, दिल वीरान बहुत है!


कहकशां ये शोर, ये रौनक- ए- जहां,

समंदर है सीने में, जहाँ तूफान बहुत है!


मक्कारियाँ, चालाकियाँ हर सूरत मगर, 

दिल बड़ा मासूम है, नादान बहुत है!


बेबसी है मजबुरियाँ, तनहाइयाँ भी,

कहने को तो दिल में अरमान बहुत है !


कहने को अपने हैं बहुत जहां में पर,

इनमें कुछ शख्स अनजान बहुत है !


किसे अपना ओ बेगाना कहें सुरेश,

हर चेहरे पे दिखता, ईमान बहुत है !


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