ग़ज़ल १
ग़ज़ल १
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कब यहाँ साथ भला कोई सदा देता है ।
आदमी खत जो पुराना हो जला देता है ।।
उसको लगता है शिकायत है अपनी किस्मत से ;
रोज लिखता है दुआ और मिटा देता है ।
वक़्त की खूबी कहो या कि करिश्मा रब का ;
हर नया ज़ख़्म पुराने को भुला देता है ।
आदमी की कहाँ औकात खुदा को समझे ;
रेत के घर जो बनाता है मिटा देता है ।
आज मतलब का जमाना है यहाँ आदम भी ;
काम हो जाए तो रब को भी भुला देता है ।