एक ज़रूरी बात, हुई जो नज़रअंदाज़
एक ज़रूरी बात, हुई जो नज़रअंदाज़
ऐसे समय में जब रुका हुआ है
ज़िन्दगी का काउंटडाउन किसी ने पूछा
कैसा कट रहा है लॉकडाउन ?
मैंने कहा खली समय चल रहा है
अपना तो सब ठीक ही कट रहा है।
ज़िन्दगी को करीब से देखने की
कोशिश कर लेता हूँ
मेरे कुछ सवाल है, जो ज़िन्दगी से कर लेता हूँ
सोच रहा हूँ कुछ 'क्रिएटिव'
मिलता है जो जवाब ज़िन्दगी से
उसे में लिख देता हूँ।
अपने पास तो बहुत कुछ है
खुदा का शुक्र है
जिनके पास नही है
बस थोडा उन्ही का फ़िक्र है
अपने पास तो है खाना- राशन
क्या सभी का पेट भर
पा रहा होगा प्रशासन ?
कोरोना से लड़ाई क्या सिर्फ
सरकार की ही ज़िम्मेदारी है ?
वो इस लड़ाई में चाहती
हम सबकी भागीदारी है !
इस वक़्त "माजूर" की
ज़्यादा से ज़्यादा मदद करना
और सरकार का साथ देना
हमारी भी ज़िम्मेदारी है।
समझदार को इशारा ही काफी है
वरना किसी को क्या पड़ी है ?
आपकी है ज़िन्दगी
और आप ही को इसे बचानी है..!
