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Jinal Patel

Abstract

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Jinal Patel

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एक दिन यूँ ही

एक दिन यूँ ही

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एक दिन यूँ ही 

छोड़ के चले जाना है 

क्यों तू फिक्र करता है 

क्या है तेरा इस दुनिया में।


जब ईंट से बनी हुए

घर भी मिट्टी में मिल जायेंगे।

तो तू तो इंसान है एक दिन

यूँ ही राख बन जाएगी।


यूँ ही छोड़ के चले जाना है

क्यों तू फिक्र करता है।


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