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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

4  

GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

दूर क्षितिज सी बांह फैलाए

दूर क्षितिज सी बांह फैलाए

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वाह रे खुशी, तेरी तमन्ना

तेरे पीछे भागा हो चौकन्ना

जनम से मरण तक छलाए

दूर क्षितिज सी बांह फैलाए

वाह रे खुशी, तेरी तमन्ना

दूर क्षितिज सी बांह फैलाए

बचपन गयी यौवन गया

बहार का हर पवन गया

मुरझा कर हर चमन गया

तू दिखी जहां मैं हर वो सदन गया

मैं हर वो सदन गया

कभी शौक कभी ख्वाहिश

इच्छाओं का यों मन में दबिश

जनम भर बन बन कल्पनायें

समंदर सा लहराए लहरों सी टकराए

कभी आँसुओं से तौलता हूँ

अंधेरे में खुद को टटोलता हूँ

सामने झिलमिल तू नजर आए

तू परात पानी प्रतिबिंब पकड़ न आए

पानी प्रतिबिंब पकड़ न आए

वाह रे खुशी तेरी तमन्ना

तेरे पीछे भागा हो चौकन्ना

उड़ती बादल की धूप सी दौड़ाए

दूर क्षितिज सी बांह फैलाये

वाह रे खुशी, तेरी तमन्ना

दूर क्षितिज सी बांह फैलाए



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