एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत भी नजरन्दाज करना ही ... एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत ...
"ख़ामोशी एक ज़ुबा" जो समझ सकता कोई,तो शायद ये दिल ना, रोता अकेले बैठ यूँ ही। "ख़ामोशी एक ज़ुबा" जो समझ सकता कोई,तो शायद ये दिल ना, रोता अकेले बैठ यूँ ही।
फिर से नए सवेरे के साथ चलेंगे एक नए उल्लास या किसी द्वन्द की ओर। फिर से नए सवेरे के साथ चलेंगे एक नए उल्लास या किसी द्वन्द की ओर।
महबूब से मुलाकात पर अब अज़ल नहीं लिखते। महबूब से मुलाकात पर अब अज़ल नहीं लिखते।
अर्सों बाद इक बात आयी है ज़ेहन में ज़रा पास आना कुछ बात करनी है। अर्सों बाद इक बात आयी है ज़ेहन में ज़रा पास आना कुछ बात करनी है।
कहानी जो आज भी जीवंत है कहानी जो आज भी जीवंत है