तुम्हारी आशिक़ी में डूबते एहसास मेरे ठहर जाता है वक़्त जब करीब आते हो। तुम्हारी आशिक़ी में डूबते एहसास मेरे ठहर जाता है वक़्त जब करीब आते हो।
एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत भी नजरन्दाज करना ही ... एक समय था वो मेरे रग-रग से वाकिफ़ हो जाने में परेशां था... और एक आज है मेरी सूरत ...