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Dinesh Gaikwad

Inspirational

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Dinesh Gaikwad

Inspirational

दहेज

दहेज

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कितनी बहुएँ गंगा माँ की गोदी में सो जाती है,

कितनी माताएँ रेल पटरियों पर लहू हो जाती है,


कौन कुएँ में कूद गई, कौन गिरी मिनाऱों से,

कौन गिनेगा उनकी संख्या रोज रंगे अखबारों से।


कोई तो होगा जो सुनेगा इन अबलाओं कि,

कोई सुधारेगा अकल इन दहेज के भूखे जानवरों की।


आओ मिलकर प्रण करें, भूख मिटाये इन असुरों की,

सोच बदले सभी की और जड़ें उखाड़ दे इस दहेज प्रथा की।


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