छूना है तुम्हें आसमान
छूना है तुम्हें आसमान
धरा की धूल भी,
हवा के एक झोंके से ,
छू लेती हैं आसमान।
बांध लो अपनी हिम्मत को,
छूना है तुम्हें आसमान।
छूना है तुम्हें आसमान।।
जिंदगी तो बार -बार ,
ठोकरें देगीं तुम्हें।
हार जाओंगे ....तुम,
यहीं डर देगीं तुम्हें।।
तुम्हें अपने डर से,
खुद ही लड़ना होगा।
गिर गये तो उठों फिर से..
छूना है तुम्हें आसमान
छूना है तुम्हें आसमान
गिडगिडाने से ,
नही मिलती है ...जिंदगी।
पत्थर दिल लोगों का,
पत्थर ही भगवान है।
ईश्वर देखता है।
ईश्वर ही करेंगा।
फिर इंसान का ,
क्या आविर्भाव है।
तुम्हारे पांव के नीचें जमीं ,
और आसमान छूते ही ,
जीवन क्षितिज का भाव है।
उठो! छूना है तुम्हें आसमान