Pradumn Chourey
Abstract
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भूख और जुर्म
लीडरान से अपी...
पेड़ और कविता
फ़रमान
करुंगा आबाद तुमको, अपनी कलम से। करता हूँ वादा आज, यह मैं तुमसे।। करुंगा आबाद तुमको, अपनी कलम से। करता हूँ वादा आज, यह मैं तुमसे।।
मिल जायेगी मंजिल एक दिन इस उम्मीद से जी रही हूं। मिल जायेगी मंजिल एक दिन इस उम्मीद से जी रही हूं।
खुशी और हंसी मैं तेरे लिए।। तुम्हारा चमन नहीं मुरझाने दूंगा। खत्म ख्वाब अपने नहीं करन खुशी और हंसी मैं तेरे लिए।। तुम्हारा चमन नहीं मुरझाने दूंगा। खत्म ख्वाब अप...
भविष्य दिखता नहीं! युग बीत रहा है!! अतीत धुंधला-सा दिख पड़ता है भविष्य दिखता नहीं! युग बीत रहा है!! अतीत धुंधला-सा दिख पड़ता है
इसलिए कोई कुछ भी कहे तुम विश्वास मत करो।। इसलिए कोई कुछ भी कहे तुम विश्वास मत करो।।
देश बचाना चाहते हो तो देश का कुछ कल्याण करो। देश बचाना चाहते हो तो देश का कुछ कल्याण करो।
अपनी काया में ऊर्जा संचरण को निभाओ सब पुरखों की रीत गाओ शुभ मंगल गीत... अपनी काया में ऊर्जा संचरण को निभाओ सब पुरखों की रीत गाओ शुभ मंगल गीत...
नायक बेमिसाल वही जो सब्र करे निभाए अपने कर्तव्य,अपेक्षा न रखे ज़िंदगी से। नायक बेमिसाल वही जो सब्र करे निभाए अपने कर्तव्य,अपेक्षा न रखे ज़िंदगी से।
भ्रम से उबरो मानवता को समझो परमात्मा याद दिला रहा है। भ्रम से उबरो मानवता को समझो परमात्मा याद दिला रहा है।
लेकर अबीर गुलाल क्रोध को दूर भगाओ होली है प्रीत का पर्व प्रीत का सबको रंग लगाना।। लेकर अबीर गुलाल क्रोध को दूर भगाओ होली है प्रीत का पर्व प्रीत का सबको रंग लगा...
नफरत, बैर को भुलाएँ आओ सबको गले लगाएँ प्रेम, स्नेह की ये हमजोली झूमों,नाचो आई होली। नफरत, बैर को भुलाएँ आओ सबको गले लगाएँ प्रेम, स्नेह की ये हमजोली झूमों,न...
मेरा जीवन जीवन नही है क्या... ? क्या दहलीज पे ही खत्म है मेरी जिन्दगी... मेरा जीवन जीवन नही है क्या... ? क्या दहलीज पे ही खत्म है मेरी जिन्दगी...
उदासियों की कालिमा को हटाने के लिए, चलो मिलजुलकर रंगोत्सव हम मनाएं। उदासियों की कालिमा को हटाने के लिए, चलो मिलजुलकर रंगोत्सव हम मनाएं।
बुरा न मानो होली है, खुशियों का आधार। तान तमंचे भी है बजते, रंगों का त्योहार।। बुरा न मानो होली है, खुशियों का आधार। तान तमंचे भी है बजते, रंगों का त्योहार।...
के साथ नई पीढ़ी को आमंत्रित करता है, अन्नदाता बनने के लिए। के साथ नई पीढ़ी को आमंत्रित करता है, अन्नदाता बनने के लिए।
होली में जब उड़े रे अबीर गुलाल देखो हुए सबके चेहरे लालम लाल।। होली में जब उड़े रे अबीर गुलाल देखो हुए सबके चेहरे लालम लाल।।
तो दोष तुम्हारा ही होगा मेरा नहीं। हे नाथ ! त्राहिमाम ! तो दोष तुम्हारा ही होगा मेरा नहीं। हे नाथ ! त्राहिमाम !
सब और दहशत का माहौल है कैसा यह होली का त्यौहार है ? सब और दहशत का माहौल है कैसा यह होली का त्यौहार है ?
नगमें लिखेंगे सब, अपना प्यार याद कर। ताजमहल तेरे लिए, जब मैं बनाऊंगा।। नगमें लिखेंगे सब, अपना प्यार याद कर। ताजमहल तेरे लिए, जब मैं बनाऊंगा।।
क्या ऐसे प्राणी को विवेक और चेतना के उच्च स्तर की आवश्यकता नहीं है ? क्या ऐसे प्राणी को विवेक और चेतना के उच्च स्तर की आवश्यकता नहीं है ?