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Kirti Patel

Abstract

3.9  

Kirti Patel

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बहुत कुछ पीछे छूट रहा था ..

बहुत कुछ पीछे छूट रहा था ..

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बहुत कुछ पीछे छूट रहा था।


तेरा हंसना , यूँँ रोना, मम्मा मम्मा कह कर यूँँ आगे पीछे होना..

ये लाड़- ये दुलार ,तेरी टिमटिमाती आँखों में मेरे लिए ये मासुम स सा प्यार ..


बहुत कुछ पीछे छूट रहा था ।


तेरी मस्तियाँ ,ये नादानियाँ 

ये ज़िद्दीपन ,ये नौटंकिया 

तेरा यूँ इठलाना ,यूँ इतराना 

पिक अ बू पे मम्मा के दुप्पटे में छिप जाना 

तेरी चंपी ये मालिश , फिर स्टोरी सुना क नहलाना

दो पल मेरे न दिखने से यूँ मम्मा मम्मा चिल्लाना 


शायद बहुत कुछ पीछे छूट रहा था।


इधर उधर बिना रुके तेरा यूँ दौड़ना भागना 

अपने खिलोने छोड़ किचन में बर्तन बिखेरना 

तेरा यूँ चेयर पे चढ़ना उतरना 

मम्मा की डांट पे यूँ मुँह बिगाड़ कर रोना 

कुछ ही पल में फिर अपनी धुन में खोना


बहुत कुछ पीछे छूट रहा था।


तुझे यूँ थप थापा कर सुलाना

यूँ पोएम सुनाना ..

तेरे सर को हाथो से सहलाकर मेरा यूँ प्यार जाताना 

तेरे नींद से जागने पे तुजे चुम कर गले लगाना 

तेरे साथ खेलना ,बाते करना 


बहुत कुछ पीछे छूट रहा था।


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