भीगे नैना
भीगे नैना
उस पलकों पें
एक आँसू छुपा के रखा था,
उस नैनो में कुछ सपना दबा के रखा था।
हसी थी चेहरे पर,
हसी भी एक दिखावा था,
एक आँसू पलकों पे छुपा के रखा था।
हँसी को अपने बोज बनाये रखा था,
अंदर ही अंदर अपना दुःख छुपाके रखा था
हम सोच ते हैं की लोग क्या कहेंगे।
पर असल में तो लोग
सामने एक और पिछे कुछ और हीं बतायेंगे।
हमें कहेंगे
"हम अपके साथ हैं"
और पीछे कहेंगे
"ये क्या इसकी हमेशा की बात है।"
इसी बात का तो डर हैं !
दुनिया बड़ी जालिम और
बड़ी ही खुदगर्ज हैं
एक ही कोई अपना होता है
बाकी तो सब लोगो का दिखावा होता है।
पलकों के आँसू तो वही समझता है
जो हमेशा हमारा अपना होता है।