बेटियां
बेटियां
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ये सफ़र है,एक बेटी का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....
घर की इज़्ज़त कंधे पर लिए..
लोग क्या कहेंगे ध्यान रखने का...
हर कदम पर संतोष रखकर....
सबकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूँढने का....
जीवन की वास्तविकता जानकर...
लड़की हो हमेशा याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का...
समाज के कुछ राक्षसो से बचकर ..
घर की दीवारों में महफूज़ रहने का...
रात की रागिनी को अनदेखा कर...
दिन के उजाले में घूमने का....
कभी माँ की डांट पड़ने पर....
पापा की लाडली हूँ याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....
अपनी जन्म भूमि छोड़कर..
अंजानो की प्रतिष्ठा बनाए रखने का...
अपनी आकांक्षाएं भूल कर....
परिवार की ख्वाहिशें पूरी करने का....
माँ की ममता से दूर रहकर...
सास की सेवा करने का.....
गलती क्या है हमारी आखिर...
इस दुविधा में डूबे रहने का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का....
हर क्षेत्र में आगे रहकर....
खुद से अपनी पहचान बनाने का....
लड़की हूँ पर कमज़ोर नही...
समाज को यह अवगत कराने का...
अनेक कष्टों को समेटे हुए...
मुख पर मुस्कान बनाये रखने का...
ये सफ़र है,हम बेटियों का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का!