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mansi chandegara

Abstract

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mansi chandegara

Abstract

बात क़ुछ अलग है

बात क़ुछ अलग है

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रातें ठीक है मगर शाम की

बात कुछ और है,


मुलाकातें, ठीक है मगर

यादों की बात कुछ और है,


गाना ठीक है मगर

गुनगुनाके की बात कुछ और है,


हँसना ठीक है मगर

हँसाने की बात कुछ और है,


इज़हार ठीक है मगर

ख़ामोशी की बात और है,


बाकी लोग ठीक है मगर

तेरी बात कुछ और है,


तेरे बिना में ठीक हूँ मगर

तेरे साथ की बात कुछ और है, 


सफर ठीक है लेकिन तू ही हमसफर हो,

तो फिर क्या बात है।


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