STORYMIRROR

Suresh Kulkarni

Abstract

2  

Suresh Kulkarni

Abstract

बाँटो खुशी

बाँटो खुशी

1 min
162


हंस दो जरा सा बाँटो खुशी

काँटो से बेहतर फूल होते हैं

बना लो गुलदस्ता सुंदरसा

लूटो लुटाओ बाँटो खुशी !


झेललो मजबूरीयां परेशानगी

गम ना करो भूल जाओ 

हंस दो हंसाओ बाँटो खुशी

जियो जिंदगी

लूटो लुटाओ बाँटो खुशी !


गुलाब खिलते है काँटोमें

जैसे जोकर कोई सर्कस में

हंसोसो हंसाओ जियो जिंदगी 

भर भरके बाँटो लूटो खुशी


प्यारका नाम दूजा त्याग है

जीवन का नाम दूजा भोग है

सह लो भोग लो भूल जाओ

जियो जिंदगी बाँटो खुशी !


जो हुआ अबतक होना ही था

होना है जो भी वो हो के रहेगा

चलते रहो पथ पे तुम अपने

सुकूं मिला राह में मानो खुशी !




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract