अवतार !
अवतार !
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जो इस देश का भाग्यविधाता है,
वो इस भारत मैं रहेता हैं।
उसनेे अपने घर को त्यागा,
देश को इक घर बनाया हैं।
वो जब छोड सब, गया हिमालय,
बाद में शक्ति कोइ उसमें आइ हैं।
विरोधी क्या कहेता ओर क्या है करता,
वो देशहित के लिए जीता मरता हैं।
सच्चा मुंह पर कहने वाला,
झूठे को सबक सिखाता हैं।
शब्दो मैं उसके शेर सी गर्जना,
इरादों में ताकत लोहे सी हैं।
मुख पर सुर्य तेज सा उसमें,
बदन में बिजली सी स्फूर्ति हैं।
देश को हानि करने वालो को,
उसने मार गिराया हैं।
वंदन करता उस मात को,
जिसने इसे एक वीर बनाया है।
अरे, वो कोई इन्सान नहीं,
इक अवतार बनके आया है।
कोई उसका क्या बिगाड़े,
जिसनें साथ इश्वर का पाया हैं।
वो अवतार कोई और नहीं,
मेरे देश का "पी.एम् मोदी" मुझें भाया हैं।
सुनो सुनो ऐ भारतवासी,
बहोत हो गई नाइंसाफ़ी।
अगर कल को बहेतर बनाना हैं,
तो "मोदी"को बार बार विजय रचाना हैं।