अनाथ
अनाथ
काश मैं भी अनाथ होता
मैं भी कुछ अपने मन की करता
ना होता मुझ पर ये बेवजह जिम्मेदारियों का बोझ
ना होता ये किसी के जाने का डर,
काश मैं भी अपने मन की कर पाता,
बिना बताए कहीं भी निकल जाता,
ना जाने मैं भी शायद कुछ बड़ा कर पाता
अगर मैं इन बेवज की जिम्मेदारियों में उलझ न जाता।
हर कदम पर किसी के खोने का डर न होता
ज़िन्दगी को निर्भय होकर जीता अगर मैं अनाथ होता
खुश होता, खुद का होता !
