अखण्ड भारत
अखण्ड भारत


करोड़ों आँखों ने जो सांझे देखा,
ऐसा एक ख्वाब है भारत।
हर धर्म, हर भेद से जुड़कर बना,
सर पर एक आसमान है भारत।
हर रंग, हर मज़हब के धागे से बुना,
तिरंगे सा आज़ाद है भारत।
खंड खंड में बंटकर भी,
अखण्डता की मिसाल है भारत।
जाने कितनी है जातियाँ,
जाने कितनी है भाषाएँ।
जाने कितने ग्रंथ हुए,
न जाने कितनी सभ्यताएं।
चाहे जितने ही धर्म हो जाए,
हर धर्म का एक ही रंग है भारत।
खंड खंड में बंटकर भी,
अखण्डता की मिसाल है भारत।
भिन्न भिन्न है रंग सभी के,
अलग अलग है वेशभूषा।
इतने रंगों को खुद में समेटे,
ऐसा न कोई देश है दूजा।
चाहे जितने ही रंग मिल जाए,
तसवीर बनती एक है भारत।
खंड खंड में बंटकर भी,
अखण्डता की मिसाल है भारत।
अलग अलग हिस्सों से आए,
राष्ट्र भक्ति का फ़र्ज़ निभाने।
देश की रक्षा की खातिर,
चाहे जीतने ही वीर हो जाए,
खून सभी का एक है भारत।
खंड खंड में बंटकर भी,
अखण्डता की मिसाल है भारत।
जाती पाति के भेद को भूलकर,
आओ फिर एक ख्वाब सजाए।
जातिवाद के भेद से,
भारत को आज़ाद कराए।
चाहे जितनी हो भिन्नता
जननी सबकी एक है भारत।
खंड-खंड में बंटकर भी,
अखण्डता की मिसाल है भारत।