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Dushyant Ojha

Inspirational

3  

Dushyant Ojha

Inspirational

""""अभ्युदय ""

""""अभ्युदय ""

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क्यों सुमन सा अभ्युदय मन में तेरे पल रहा है

क्यों पवन सा ये गरल सांसों में तेरे चल रहा है

क्यों तू सोचे की कोई हाथ पकड़ेगा यहाँ

क्यों तू माने कि कोई प्राण जकड़ेगा यहाँ


है नहीं विश्वास क्या तुझ को तनिक भगवान पर

क्यों पकड़ता पग किसी के न ठेस ले सम्मान पर

जो समय आया है वो धीरे-धीरे बीतेगा

लाख कोशिश कर ले दुनिया एकदिन तू जीतेगा


रास्ते और मंज़िलें तम में चाहे खो गये

मन के तेरे अश्व जाकर क्यूँ कहीं पर सो गये

तू अकेला था कभी ना है अकेला ना अभी

प्रकृति और ब्रह्मांड संग देख तेरे हैं सभी


मुझ को देखना जो चाहे देख लेना व्योम को

मुझ को जो छुना अगर हो छुना तन के रोम को

ये जो एक अस्तित्व दीपक तन में तेरे जल रहा है

यूं लगे तुझ में भी कोई बंद होकर चल रहा है


आज दिखता नयनों में तेरे गिरी सा हौसला है

उच्च पर्वत के शिखर पर ज्यों पंछियों का घोसला है

क्यों तू अब चिंतित खड़ा है हार मत तू मानना

जब भी तू अर्जुन बनेगा कृष्ण मुझ को जानना


क्यों सुमन सा अभ्युदय मन में तेरे पल रहा है

क्यों पवन सा ये गरल सांसों में तेरे चल रहा

क्यों सुमन सा 



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