आवाहन
आवाहन
हे अनंतस्वरूपा आदिशक्ति अणपूर्णा मां अम्बिका
महामायी मंगल करणी महाबला मां चंडिका
क्रूरा कौमारी कालरात्रि चण्डमुण्ड विनाशिनि
विघ्न विनाशक भद्रकाली भक्तो का भयहारणी
पिनाकधारिणी अनेकवर्णा मातंगी माहेश्वरी
शाम्भवी देवमाता सर्वासुरविनाशानि
महोदरी महा काली महिषासुरमर्दिनि
अहंकारा कात्यायनी दुर्गा दुर्गतिनाशिनी
घोररूपा रौद्रमुखी अनेकास्त्रधारिणी
चण्डघण्टा चित्तरूपा सर्वदानवघातिनी
ब्रम्हांड को रचने वाली कुष्मांडा मां भैरवी
भायहीन करो भक्तों को अदृश्य असुर विनाशिनी
हहाकार मचा हुआ है धरती के प्रांगण में
अदृश्य असुर आक्रमण किया है ब्रह्मांड के आंगन में
हे कालरात्रि करुणामई करुण व्यथा स्वीकार करो
कमल आसन छोड़ दे मां सिंहासन ग्रहण करो
हे भवानी भक्त वात्सल्य भायहीन संसार करो
पार्वती प्रकट होकर इस राक्षस का संहार करो
संकट रूपी विपरीत घड़ी में रमन का पुकार सुनो
भयानक रूप धारण करके काल पर प्रहार करो
(पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ जब अपने हर संभव
प्रयत्न कर रहा हो तो किसी पर दोषारोपण करना सही नहीं है
खासकर तब जब परिस्थिति विकराल हो
आइये एकबार फिर से माता रानी को आवाहन करता हूँ )
हे दिव्य स्वरुपा अंतर्यामी विनती स्वीकार करो
अस्तित्व कही मिट न जाये मानव पर परोपकार करो
हे दिव्य आत्मा दिव्य दृष्टि से कुदृष्टि का विनाश करो
भारत सहित सम्पूर्ण विश्व से बिष आत्मा का नाश करो
सनातन का डंका बाजे
महारत हासिल हो
धरती के कोने कोने में
वैदिक मंत्र का उच्चारण हो
हे शक्ति स्वरूपा शूलधारिणी शुम्भनीशुम्भहननी
अमेय विक्रमा क्रूरा अनेकास्त्रधारिणी
इस धधकती ज्वला को राख मे तब्दील करो
मरघट की हलचल कम कर के मंदिर की तरफ रुख करो
बहुत हो गया अब माते विकराल रूप धारण करो
इस विकट परिस्थिति में आकर उपस्थिति दर्ज करो
दानव का विध्वंस करके मानव का रक्षा करो
मधुकैटभहन्त्री माते फिर वही हूंकार भरो
जगह-जगह संकट के बादल ब्रह्मांड में छाया है
साबे पता संकट हरनी सब तेरी माया है
मुक्ति दे मायावी राक्षस से कहर बहुत ढाया है
अहंकारी मानव को माथे औकात तूने दिखाया है
उखड़ गया मां आस सबसे तुम आकर पहल करो
संपूर्ण जगत की विपदा हर कर मातृत्व कायम करो
हे जग जननी जगत के पालक त्राहिमाम संसार है
अब आ ही जा मैया मेरी जगत को तेरी दरकार है