Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Raman Kumar Jha

Abstract

4  

Raman Kumar Jha

Abstract

आवाहन

आवाहन

2 mins
415



हे अनंतस्वरूपा आदिशक्ति अणपूर्णा मां अम्बिका

महामायी मंगल करणी महाबला मां चंडिका  

क्रूरा कौमारी कालरात्रि चण्डमुण्ड विनाशिनि

विघ्न विनाशक भद्रकाली भक्तो का भयहारणी


पिनाकधारिणी अनेकवर्णा मातंगी माहेश्वरी

शाम्भवी देवमाता सर्वासुरविनाशानि

महोदरी महा काली महिषासुरमर्दिनि

अहंकारा कात्यायनी दुर्गा दुर्गतिनाशिनी


घोररूपा रौद्रमुखी अनेकास्त्रधारिणी

चण्डघण्टा चित्तरूपा सर्वदानवघातिनी

ब्रम्हांड को रचने वाली कुष्मांडा मां भैरवी

भायहीन करो भक्तों को अदृश्य असुर विनाशिनी


हहाकार मचा हुआ है धरती के प्रांगण में

अदृश्य असुर आक्रमण किया है ब्रह्मांड के आंगन में

हे कालरात्रि करुणामई करुण व्यथा स्वीकार करो

कमल आसन छोड़ दे मां सिंहासन ग्रहण करो


हे भवानी भक्त वात्सल्य भायहीन संसार करो 

पार्वती प्रकट होकर इस राक्षस का संहार करो

संकट रूपी विपरीत घड़ी में रमन का पुकार सुनो

भयानक रूप धारण करके काल पर प्रहार करो 


(पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ जब अपने हर संभव

प्रयत्न कर रहा हो तो किसी पर दोषारोपण करना सही नहीं है

खासकर तब जब परिस्थिति विकराल हो

आइये एकबार फिर से माता रानी को आवाहन करता हूँ )


हे दिव्य स्वरुपा अंतर्यामी विनती स्वीकार करो

अस्तित्व कही मिट न जाये मानव पर परोपकार करो

हे दिव्य आत्मा दिव्य दृष्टि से कुदृष्टि का विनाश करो 

भारत सहित सम्पूर्ण विश्व से बिष आत्मा का नाश करो


सनातन का डंका बाजे 

महारत हासिल हो 

धरती के कोने कोने में 

वैदिक मंत्र का उच्चारण हो


हे शक्ति स्वरूपा शूलधारिणी शुम्भनीशुम्भहननी

अमेय विक्रमा क्रूरा अनेकास्त्रधारिणी

इस धधकती ज्वला को राख मे तब्दील करो

मरघट की हलचल कम कर के मंदिर की तरफ रुख करो


 बहुत हो गया अब माते विकराल रूप धारण करो

 इस विकट परिस्थिति में आकर उपस्थिति दर्ज करो

 दानव का विध्वंस करके मानव का रक्षा करो

मधुकैटभहन्त्री माते फिर वही हूंकार भरो


 जगह-जगह संकट के बादल ब्रह्मांड में छाया है

 साबे पता संकट हरनी सब तेरी माया है

 मुक्ति दे मायावी राक्षस से कहर बहुत ढाया है

अहंकारी मानव को माथे औकात तूने दिखाया है


उखड़ गया मां आस सबसे तुम आकर पहल करो

संपूर्ण जगत की विपदा हर कर मातृत्व कायम करो

हे जग जननी जगत के पालक त्राहिमाम संसार है

अब आ ही जा मैया मेरी जगत को तेरी दरकार है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract